बिलासपुर. कोरोना (COVID 19) के कारण कामकाज, पढ़ाई और अन्य गतिविधियां ठप होने का पूरे परिवार पर असर पड़ा है। बच्चे, किशोर और युवा भी इससे अछूते नहीं हैं। बच्चों की आजादी छिन गई है। किशोर और युवाओं को पढ़ाई व करियर की चिंता है। गांव में पढ़ाई व रोजगार के साधन वैसे भी कम है, इस आपदा से हालात और बिगड़े हैं। हालात के मद्देनजर यूनिसेफ (UNICEF) ने गांव के बच्चों और किशोरों को मानसिक तौर पर मजबूत करने कार्यक्रम तैयार किया है।
यूनिसेफ इसकी शुरुआत छत्तीसगढ़ से करने जा रहा है। इसके तहत 6 से 14 साल और 14 से 18 साल तक के बच्चों के लिए एक्टिविटी तय की गई है। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और दिल्ली का मानस फाउंडेशन इसमें सहयोग कर रहा है। प्राधिकरण के 60 पैरा लीगल कार्यकर्ता गांव में जाकर किशोरों और युवाओं से बात कर उनकी मन: स्थिति जानेंगे कि इस माहौल का उन पर क्या असर पड़ा है। इस अनुसार उनको सुझाव दिए जाएंगे। सोशल डिस्टेंस के साथ बच्चों के लिए खेल व अन्य गतिविधियां की जाएंगी।
यह है उद्देश्य
यूनिसेफ ने अपने अध्ययन में पाया कि कोरोना के दौरान लॉकडाउन व अन्य वजहों से रोजगार छीनने से गांव के लोगों की आर्थिक हालत खराब हुई है। इसका असर पूरे परिवार पर पड़ा है। साथ ही रोग फैलने की दहशत भी है। बच्चे और किशोर कहीं बाल श्रमिक ना बन जाए और मानसिक तौर पर भी इस माहौल से उबारने के लिए यूनिसेफ ने यह प्रोग्राम बनाया है।
9 जिलों से होगी शुरुआत
बिलासपुर, रायपुर, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर, दुर्ग, बस्तर के सभी जिले इस प्रोग्राम में शामिल किए गए हैं। प्रदेश भर के 60 पैरा लीगल कार्यकर्ताओं को इसके लिए दो चरणों में 24 व 27 जुलाई को ट्रेनिंग दी जाएगी।
चाइल्ड प्रोटेक्शन कंसलटेंट यूनिसेफ प्रियंका सेठी ने बताया कि कोरोना से खराब आर्थिक स्थिति और माहौल का बच्चों और किशोरों के मन पर भी असर हुआ है। इसके मद्देनजर कार्यकर्ता गांव में जाकर उनकी मन:स्थिति जानकर उनको चैलेंज से निपटने मानसिक तौर पर तैयार करेंगे।